बाबोसा रे आँगणा में
आज री सुबह उदास सी है
क्यूंकि रोज़ आँगणा में
फुदकण वाली चिडकल्या मूं
एक चिडकली कम है ,
काले एक चिडकली
फुर्र करतां उड़गी ही .
आँगणा! आंसूडा मत दुलका
परायी चिडकली रे खातर
जिको मांडणा कोरे है
किणी दूजा आँगणा में.
- अजीत पाल सिंह दैया
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